52 Shaktipeeth

52 Shaktipeeth: माँ आदिशक्ति के 52 शक्तिपीठ के नाम और कहाँ पर स्थित है

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52 Shaktipeeth : माता सती के आभूषण और रक्त के टुकड़े भू-भाग के जिस भी हिस्से में गिरे उन स्थानों को देवी शक्तिपीठ के नाम से पूजा जाता हैं। दुर्गा शप्तसती और तंत्र चुडामणि में इनकी संख्या 52 हैं। देवी भगवती पुराण में 108 शक्तिपीठों का वर्णन हैं। वहीं पर कलिका पुराण में 26 शक्तिपीठों की संख्या का उल्लेख मिलता हैं। जबकि शिवचरित्र में 51 शक्तिपीठों का वर्णन हैं। लेकिन हम आज इस लेख में माँ आदिशक्ति के 52 शक्तिपीठ के नाम क्या हैं और वह कहाँ पर स्थित है। अनेक पुराणों में माता सती के 52 शक्तिपीठों का उल्लेख किया गया है, लेकिन हमें खोज से माता सती के 53 शक्तिपीठ की जानकारी भी प्राप्त हुई हैं, इस बारें में जानेगें, साथ ही माँ आदिशक्ति के 53 शक्तिपीठ के नाम और कहाँ पर स्थित है।

52 Shaktipeeth
52 शक्तिपीठ

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती ने अपने पिता राजा दक्ष की मर्जी के बिना ही भोले नाथ से विवाह कर लिया। इस बात के लिए राजा दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया और उस यज्ञ में अपनी बेटी और अपने दमांद को आमंत्रण नहीं किया, लेकिन फिर भी माता सती वहां पर पहुँच गई जबकि भोलेनाथ ने वहां जाने से माना किया था।

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52 Shaktipeeth : माँ आदिशक्ति के 52 शक्तिपीठ के नाम और कहाँ पर स्थित है

राजा दक्ष ने माता सती के सामने उनके पति का अपमान करने लगे पिता के मुख से अपने पति का अपमान माता सती से बर्दाश नहीं हुआ। तो उन्होंने यज्ञ वेदी में अपने प्राणों को त्याग दिया भगवन शिव पत्नी के वियोग को न सह सके और भोलेनाथ माता सती को लेकर तांडव करने लगे।

जिस कारण ब्रम्हांड से प्रलय आने लगी भगवन विष्णु ने इस प्रलय को रोकने के लिए आपने सुदर्शन चक्र से माता सती के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। माना जाता है कि जब भागवान शिव अपनी पत्नी माता सती के मृत देह को लेकर जब कैलाश पर्वत की ओर जा रहे थे, तब जहां-जहां माता सती के शरीर के अंग, आभूषण और रक्त के टुकड़े गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्‍थापना हुई। इन शक्तिपीठों की कुल संख्या 52 हैं जो आंगे जाकर 52 शक्तिपीठ बन गए।

श्री पद्मावती देवी जी का मंदिर मध्य प्रदेश में वहुत प्रसिद्ध है जो पन्ना जिले में स्थित हैं।

श्री पद्मावती शक्तिपीठ

श्री पद्मावती देवी : श्री पद्मावती मंदिर पन्ना 52 शक्तिपीठ में से एक हैं । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि आदिशक्ति देवी मां जब सती हुई थी उनके दाहिने पैर का आकर यहां गिरा था, इसलिए इसका नाम पद्मावती शक्तिपीठ पड़ा। यह घूमने के लिए बहुत अच्छा है। आप परिवार के साथ आएं यह एक माँ आदिशक्ति हिंदू धार्मिक तीर्थ स्थल है। और पढ़े

माता हिंगलाज शक्तिपीठ

माता हिंगलाज शक्तिपीठ : यहाँ पर माता सती का मस्तक (सिर) गिरा था। यह स्थान करांची से 125 किलो मीटर की उत्तर पूर्व दिशा में स्थित है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार हिंगलाज मंदिर यह माता सती का प्रथम (पहला) शक्तिपीठ है। यह मंदिर पाकिस्तान में स्थित है जो बहुत ही सुन्दर और मनभावक और पढ़े

माँ नयना देवी शक्तिपीठ

माँ नयना देवी शक्तिपीठ : श्री माँ नयना देवी मंदिर यह मंदिर हिमाचलप्रदेश में बना हुआ है जिसकी सुनदरता की हर तरफ चर्चाये फैली हुई है जो सुन्दरता के लिए जाना जाता है। श्री माँ नयना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश या नैना देवी मंदिर नैनीताल हैं, जो नैनी झील जो भारत की सबसे सुन्दर झीलों में से एक है। और पढ़े

सुगंधा सुनंदा शक्तिपीठ

सुगंधा सुनंदा शक्तिपीठ : बांग्लादेश के शिकारपुर के पास दूर सोंध नदी के किनारे स्थित है। माता की नासिका गिरी थी यहां। सुगंधा (सुनंदा) शक्तिपीठ अति सुन्दर दिखाई देता है यह बहुत ही भव्य और मनमोहक है यह बांग्लादेश के शिकारपुर शहर में स्थित है जो बहुत ही विशालकाय है। और पढ़े….

महामाया शक्तिपीठ

महामाया शक्तिपीठ : इस शक्तिपीठ की बहुत माहानता है जो महामाया शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है यह भारत देश के जम्मू कश्मीर में स्थित है जो वहाँ के शानदार मंदिरों में से एक है। जम्मू कश्मीर की हसीन वादियां इतनी सुन्दर है की कुछ लोग तो यहां की वादियों का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है और पढ़े….

माँ ज्वाला शक्तिपीठ

माँ ज्वाला शक्तिपीठ : हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी। इसे ज्वाला जी स्थान कहते हैं। माँ ज्वाला देवी मंदिर के बारे में तो आपने सुना ही होगा जो बहुत ही प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। इस स्थान को ज्वालाजी भी कहा जाता है। जो हिमाचलप्रेदेश में स्तिथ है। और पढ़े….

माँ त्रिपुर मालनी शक्तिपीठ

माँ त्रिपुर मालनी शक्तिपीठ : पंजाब के जालंधर में देवी तालाब, जहां माता का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था। माँ त्रिपुर मालनी पंजाब की बहुत ही प्रसिद्द मंदिर है। यहाँ के लोग इस स्थान को पावन स्थल मानते है। माँ त्रिपुर मालनी माता का मंदिर की सुनदरता अनोखी और द्रश्यमई है। माँ त्रिपुर मालनी मंदिर यह पंजाब में स्थित है। और पढ़े….

माँ अम्बाजी शक्तिपीठ

माँ अम्बाजी शक्तिपीठ : माँ अम्बाजी को आंबे माँ के नाम से भी जाना जाता है 52 शक्तिपीठ मंदिरों में से बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है यह मंदिर गुजरात में स्थित है यह नवदुर्गा में बहुत ही सुन्दर दशहरा मनाया जाता है माँ अम्बाजी का मंदिर भी गुजरात में ही स्थित है। और पढ़े….

गुजयेश्रवरी शक्तिपीठ

गुजयेश्रवरी शक्तिपीठ : गुजयेश्रवरी माता मंदिर यह मंदिर नेपाल में स्थित है इसकी सुन्दरता का द्रश्य हर तरफ दिखाई देता है गुजयेश्रवरी माता को माता जगतजननी के नाम से भी जाना जाता है। और पढ़े….

मनसा देवी शक्तिपीठ

मनसा देवी शक्तिपीठ : मानसा दाक्षायणी माता के दरवार में जाने से हमारी सारी मनोकाना पूरी होती है दूर-दूर से लोग यहाँ पर अपनी मन्नत मांगने के लिए आते है मानसा दाक्षायणी वाली माता का मंदिर तिब्बत में बाना हुआ है। और पढ़े….

विरजा देवी शक्तिपीठ

विरजा देवी शक्तिपीठ : विरजा देवी का मंदिर प्रसिद्ध मंदिरों में एक है जिसकी बनावट अद्भुद और अनोखी है इसे देखने के लिए देश विदेश से यात्री देखेने के लिए आते है यहाँ पर आकर देखने में ऐसा प्रतीत होता है की माँ विरजा देवी ने यहाँ पर सयंम ब्राजमान हों यह मंदिर उड़ीसा में बाना हुआ है। और पढ़े….

गण्डकी चंडी शक्तिपीठ

गण्डकी चंडी शक्तिपीठ : नेपाल सुन्दरता की द्रस्ती से बहुत ही देश है यहाँ पर लोग देश की सुन्दरता को देखने के लिए आते है यहाँ पर माता सती का शक्तिपीठ भी स्थापित है जिसे गण्डकी शकिपीठ मुक्तिनाथ के नाम से भी जाना जाता है। और पढ़े….

बहुला शक्तिपीठ

बहुला शक्तिपीठ : बहुला शक्तिपीठ मंदिर प्राचीन मंदिरों में से एक है जो श्रधालुओं का पावन स्थलों में से एक है जो पश्चिम बंगाल की सुनदरता के लिए जाना जाता है पश्चिम बंगाल के अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था। और पढ़े….

उज्जयिनी मांगल्य चंडिका शक्तिपीठ

उज्जयिनी मांगल्य चंडिका शक्तिपीठ : पश्चिम बंगाल के उज्जयिनी मांगल्य चंडिका नामक स्थान पर माता की दाईं कलाई गिरी थी। यह जिसे देखने के लिए हर मोषम में लोग आते है यहाँ का नजरिया भी बहुत सुन्दर है। और पढ़े….

त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ

त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ : त्रिपुरा के राधाकिशोरपुर गांव के माता बाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था। यह मंदिर पर्वत में होने के कारण और भी जादा मनमोहक लगता है। और पढ़े….

भवानी शक्तिपीठ

भवानी शक्तिपीठ : चट्टल ढंका में भवानी शक्तिपीठ का अद्भुद और चमत्कारी मंदिरों में से एक है इस मंदिर की व्याख्या बहुत ही सुन्दर मंदिरों में की जाता है। बांग्लादेश बांग्लादेश का यह मंदिर चिट्टागौंग (चटगाँव) जिला के सीताकुंड स्टेशन के निकट चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में स्थित है। और पढ़े….

भ्रामरी शक्तिपीठ

भ्रामरी शक्तिपीठ : माता सती का मंदिर पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के सालबाढ़ी ग्राम स्‍थित त्रिस्रोत स्थान पर भ्रामरी शक्तिपीठ के नाम से जानते है। यहाँ पर माता सती का बायाँ पैर गिरा था। और पढ़े….

कामाख्या देवी शक्तिपीठ

कामाख्या देवी शक्तिपीठ : माता सती का यह मंदिर असम के गुवाहाटी जिले में स्‍थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर कामाख्या देवी मंदिर स्थित है। हिन्दू पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है। इस जगह पर माता की योनि भाग गिरा था। जिस कारण यहाँ के इस तीर्थस्थल के मन्दिर में माता सती के शक्ति की पूजा योनिरूप में होती है। और पढ़े….

युगाद्या भूतधात्री शक्तिपीठ

युगाद्या भूतधात्री शक्तिपीठ : पश्चिम बंगाल में वर्धमान जिले से लगभग 32 किलोमीटर दूरी पर जुगाड्‍या नामक स्थान पर माता सती का शक्तिपीठ मंदिर स्थित है। इस स्थान में आदिशक्ति माता सती के दाहिने चरण का अँगूठा आ गिरा था। और पढ़े….

कालीघाट शक्तिपीठ

कालीघाट शक्तिपीठ : यहाँ पर माता सती की माँ काली के रूप में पूजा की जाती है यह मंदिर पश्चिम बंगाल में स्थित है। यह सु-प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है सुनने में आता है की यहाँ के लोग बड़े ही धार्मिक होते है। और पढ़े….

प्रयाग शक्तिपीठ

प्रयाग शक्तिपीठ : उत्तर प्रदेश के लोग माता सती को बहुत ही पवित्र देवी मानते है और माता सती के हर त्यौहार को बड़े ही हर्ष के साथ में मानते है। माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में इलाहबाद शहर के संगम तट पर माता की हाथ की अँगुली गिरी थी। और पढ़े….

माँ जयंती शक्तिपीठ

माँ जयंती शक्तिपीठ : माता जयंती बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के पास के गाँव कालाजोर के खासी पर्वत में माता जयंती का मंदिर स्थित है। जो देखने में बहुत ही भव्य है यहाँ की सुन्दरता अनोखी है। और पढ़े….

किरीट विमला शक्तिपीठ ( माता मुक्तेश्वरी )

किरीट विमला शक्तिपीठ : पश्चिम बंगाल में स्थित माता सती का किरीट विमला शक्तिपीठ बहुत ही प्रसिद्ध है पश्चिम बंगाल में मुर्शीदाबाद जिला के लालबाग के पास स्थित माता सती के इस पवित्र स्थान को किरीट विमला और माता मुक्तेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। और पढ़े….

विशालाक्षी शक्तिपीठ

विशालाक्षी शक्तिपीठ : माता सती को उत्तरप्रदेश में काशी विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित विशालाक्षी देवी का मंदिर स्थित है। माना जाता है की यहाँ पर माता सती के कान के मणिजड़ीत कुंडल गिरे थे। जी कारण इस जगह को ‘मणिकर्णिका घाट’ भी कहा जाने लगा है। और पढ़े….

कन्याकुमारी शक्तिपीठ

कन्याकुमारी शक्तिपीठ : कन्याश्राम को कन्याकुमारी शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है। कन्याश्रम में माता सती की पीठ आ गिरी थी। जिस कारण से इस शक्तिपीठ को सर्वाणी के नाम से जाना जाता है। और पढ़े….

सावित्री शक्तिपीठ

सावित्री शक्तिपीठ : हरियाणा में सावित्री का मंदिर स्थापित है जिसे देखने व पर्यटक के लिए भी लोग आते है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में प्रतिष्ठित आदिशक्ति शक्तिपीठ को “सावित्री पीठ”, “देवी पीठ”, “कालिका पीठ” या “आदी पीठ के नाम से भी जाना जाता है। और पढ़े….

मणिबंध शक्तिपीठ

मणिबंध शक्तिपीठ : माता सती का राजस्थान में मणिबंध के रूप में पूजा जाता है। यह राजस्थान में अजमेर से लगभग 11 किमी की दूरी पर गायत्री पहाड़ के पास स्थित मणिबंद शक्तिपीठ स्थापित है। माता सती की इस शक्तिपीठ को मणिदेविक मंदिर के नाम से भी पुकारा जाता हैं। और पढ़े….

श्रीशैल शक्तिपीठ

श्रीशैल शक्तिपीठ : श्री शैल शक्तिपीठ का बहुत ही प्राचीन मंदिर है जो बहुत ही पुराना माना जाता है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है। यह बांग्लादेश में सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जॉइनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर श्रीशैल शक्तिपीठ है। और पढ़े….

देवागभी शक्तिपीठ

देवागभी शक्तिपीठ : पश्चिम बंगाल में माता सती की देवगर्भा के रूप में पूजा जाता है पश्चिम बंगाल में माता सती का बहुत प्राचीन मंदिर है जो बहुत ही विशाल है जिसे देखना बहुत ही शुभ माना जाता है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से लगभाग 10 किमी उत्तर-पूर्व में कोप्पई नदी के तट पर देवगर्भा के नाम से माता सती का मंदिर स्थापित है। और पढ़े….

कालमाधव शक्तिपीठ

कालमाधव शक्तिपीठ : मध्यप्रदेश में स्थित कालमाधव का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश के लोग इस मंदिर में बहुत अधिक मानता है। भारत एक हिन्दू राष्ट्र होने के साथ सभी धर्मों को माने वाला देश भी है। मध्यप्रदेश में आपको सबसे जादा धार्मिक जगह और धार्मिक लोग देखने को मिलेंगें मध्यप्रदेश के लोग धर्म को विशेष महत्त्व देते है। और पढ़े….

शोणदेश शोणाक्षी शक्तिपीठ

शोणदेश शोणाक्षी शक्तिपीठ : माना जाता है कि मध्य प्रदेश में भी माँ आदिशक्ति माता सती का प्रसिद्ध मंदिर है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से भारी मात्रा में लोग माता के दर्शन करने के लिए आते है यह मंदिर हिन्दुओं का धार्मिक स्थल रहा है। मध्यप्रदेश के शोणदेश स्थान पर माता का दायां नितंब गिरा था। और पढ़े….

राम्मिश्वी शक्तिपीठ

राम्मिश्वी शक्तिपीठ : उत्तरप्रदेश में रामगिरी शक्तिपीठ के मंदिर प्रसिद्ध है जो उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता सती का रामगिरि शक्तिपीठ स्थापित है। वेद ग्रंथों के अनुसार माना जाता है की यहाँ माता सती का दायाँ स्तन गिरा था। और पढ़े….

श्री उमा शक्तिपीठ

श्री उमा शक्तिपीठ : उत्तरप्रदेश में माता सती का अद्भुद और चमत्कारी मंदिर है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से लोग आते है और माता सती के दर्शन करके आपना जीवन सफल बनाते है माता सती का उत्तर प्रदेश में मथुरा जिले के वृंदावन तहसील में माता सती का बहुत ही सुन्दर है। और पढ़े….

शुचि नारायणी शक्तिपीठ

शुचि नारायणी शक्तिपीठ : माना जाता है की तमिलनाडु के कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव जी का बहुत ही पवित्र मंदिर है, जहां पर माता सती के ऊपरी दांत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे। इस मंदिर की बनाबट अलग ही प्रकार की है जो तमिलनाडु में स्थित अति सुन्दर मंदिर है। यहाँ पर लोग माता सती को शुचि नारायणी के नाम से पूजा करते हैं। और पढ़े….

पंच सागर शक्तिपीठ

पंच सागर शक्तिपीठ : पंचासागर का नाम तो आपने सुना ही होगा यहाँ पर माता सती के शक्तिपीठ होने का सुनने में आता है यह शक्तिपीठ, उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास स्थित है जहां माता सती के निचले दांत गिरे थे। वाराणसी धाम की यात्रा करना बहुत ही शुभ माना जाता है यहाँ पर विशाल मंदिर बाना हुआ है। और पढ़े….

अपर्णा शक्तिपीठ

अपर्णा शक्तिपीठ : करतोयाटट अपणी शक्तिपीठ बांग्लादेश : माता सती का यहाँ पर बहुत ही पुराना मंदिर जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से भारी मात्रा में आते है यहाँ की सुन्दरता देखने के बाद हमें आभास होता है की जिन्दगी में मोका मिले तो एसी जगह पर घुमने के लिए जरुर जाना चाहिए पता नहीं फिर कभी यहाँ पर आने का मोका मिलता है या नहीं। और पढ़े….

माँ भ्रामराम्बा श्रीशैलम शक्तिपीठ

माँ भ्रामराम्बा श्रीशैलम शक्तिपीठ : ममता मई भ्रामरी देवी का अनोखा मंदिर देखने को मिलता है जी आंध्रप्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है जी देखने में हमारे मन को अपनी ओर आकर्षित करता है जो एक धार्मिक मंदिरों में से एक है। यहाँ पर प्राचीन वेद ग्रंथों के अनुसार माता सती का बड़ा मंदिर है जो 52 शक्तिपीठों में से एक है। और पढ़े….

विभाष शक्तिपीठ

विभाष शक्तिपीठ : माता सती को पश्चिम बंगाल में विभाष शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है और यहाँ पर इनका यह नाम प्रसिद्ध हो गया जो हुन्दुओं का प्रसिद्ध धाम रहा है यह मंदिर धार्मिकता के लिए भी जाना जाता है। यहाँ के लोग इस मंदिर को विशेष महत्त्व देते है। पश्चिम बंगाल के जिला पूर्वी मेदिनीपुर स्थान में माता सती के बाएं टखने गिरे थे। और पढ़े….

चन्द्र्भामा शक्तिपीठ

चन्द्र्भामा शक्तिपीठ : गुजरात में माता सती का बहुत ही द्रस्यमय मंदिर है जिसे देखने की कामना हर किसी में है। अधिकतर लोग ऐसे मंदिरों को देखना बहुत ही अधिक पसंद करते है जिसमे अधिकतर लोग यहाँ पर घूम चुके होंगे यहाँ घुमने के बाद हमारे मन में अनेक आशाये उठने लगती है। वेद पुराणों के अनुसार माना जाता है की गुजरात के जूनागढ़ प्रभास क्षेत्र में माता सती का उदर गिराने का प्रमाण मिलता है। और पढ़े….

अवंती या भैरव शक्तिपीठ

अवंती या भैरव शक्तिपीठ : मध्यप्रदेश में माता सती को अवन्ती के रूप में पूजा जाता है और यह भी माना जाता है। की मध्यप्रदेश के उज्जैन में ,माँ शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के ऊपरी ओष्ठ गिरे थे। उज्जैन भारत के सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।इस मंदिर को देखना मध्यप्रदेश लोग बहुत ही शुभ मानते है मध्यप्रदेश के निवाशी इस को हिन्दुओं का पवान धार्मिक स्थल मानते है जो यहाँ के सुन्दर मंदिरों में से एक है। उज्जैन में बाबा महाकाल का मंदिर भी बहुत सुन्दर जिसे देखने के लिए देश विदेश से लोग आते है।

जनस्थल शक्तिपीठ

जनस्थल शक्तिपीठ : माता सती का महाराष्ट्र में बहुत ही पुराना मंदिर है जो बहुत ही अधिक प्रसिद्ध है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से अपने परिवार के साथ भारी मात्रा में आते है। यहाँ के मंदिर का द्रश्य अलग ही प्रकार का दिखाई देता है। वेद ग्रंथों के अनुसार माना जाता है की यहाँ पर माता सती का अद्भुद मंदिर है। और यह भी माना जाता है की महाराष्ट्र के नासिक नगर में माता सती की ठोढ़ी गिरी थी। जिससे यह मंदिर पूरी तरह विख्यात हो गया।

गोदावरीतीर सर्वेशेल शक्तिपीठ

गोदावरीतीर सर्वेशेल शक्तिपीठ : माता सती के दर्शन करने के इलिए यहाँ पर लोग अधिक मात्रा में आते है और वह यहाँ पर उन्हें माँ गोदावरी के रूप में उनके दर्शन करते है। जिससे उन्हें माता सती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। और स्थान से वे हस्ते गाते ख़ुशी से अपने घर लोट आते है।प्राचीन वेद पुराणिक ग्रंथो के अनुसार माना जाता है कि आंध्रप्रदेश के कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे। जिस कारण यह मंदिर तेजी गति से प्रसिद्ध हो गया जिसे देखने के लिए लोग विदेशों से बीजा पासपोर्ट बनवाकर यहाँ पर दर्शन करने के लिए आते हैं।

माँ अंबिका शक्तिपीठ

माँ अंबिका शक्तिपीठ : माता सती को माँ अंबिका के नाम से भी जाना जाता है यह भारतपुर राजिस्थान में स्थित है जी बड़ा ही सुन्दर और भव्य दिखाई देता है जिसकी मानता अधिक पाई जाती है। यह शक्ति पीठ गुजरात के जुनागड़ जिले में सोमनाथ मंदिर के पास स्थित है यहाँ प्रभास क्षेत्र में माता सति का उदर गिरा था। इस मंदिर के चारों ओर का द्रश्य बहुत ही शानदार दिखाई देता है। यहाँ पर हर तरफ हरयाली ही हरयाली के सुन्दर मैदान फैले हुये है जिन्हें देखकर अनेक कल्पनाये होने लगती है। जहाँ पर हर कोई सैर करने कर लिए आता है।

रुतावती शक्तिपीठ

रुतावती शक्तिपीठ : लोगों का मानना है कि जब भगवान के तांडव करने पर पृथ्वी के विनाश को बचाने की लिए भगवान विष्णु ने आपने चक्र सुदर्शन से माता सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। जिसे बचने के लिए भोले नाथ जंगल-जंगल भागने लगे और जनकपुर रेलवे स्टेशन के निकट रुतावती में माता का बायां कंधा गिरा था। जिससे यहाँ पर माता सती की पूजा बड़े ही उत्कर्ष के साथ में की जाने लगी जो पश्चिम बंगाल में स्थित है। जिस मंदिर को देखने के लिए लोग भारी मात्रा में आते है और वे यहाँ पर माता सती को रुतावती के रूप में दर्शन करते है।

मिथिला शक्तिपीठ

मिथिला शक्तिपीठ : यह मंदिर माता सती का बहुत ही चमत्कारी मंदिर है जो वहाँ के सुप्रसिद्ध मंदिरों में गिने जाते है इस मंदिर माता सती को माता मिथला के नाम से जाना जाता है। और यह नाम यहाँ पर विख्यात हो गया है। इस शक्तिपीठ को सर्वानंदकरी के नाम से जाना जाता है। माता सती के शक्ति पीठ यहाँ माता सति का बांया स्कंध गिरा था। इस शक्ति पीठ की शक्ति माँ उमां भी कहते हैं माँ उमा के मंदिर के सोंदर्य अद्भुद दिखाई देता है। इस मंदिर को यहाँ के लोग पवन स्थल मानते है यहाँ पर धार्मिक कार्य होते ही रहते है।

जयदुर्गा शक्तिपीठ

जयदुर्गा शक्तिपीठ : माँ जयदुर्गा का झारखंड में स्थित द्रस्यमय मंदिर है जिसकी कल्पना हर कोई नहीं कर सकता है जिसकी बनाबट अलग ही प्रकार से की गई है जिसका द्रश्य अनोखा है जहा पर बाबा बैजनाथ का मंदिर भी स्थित है जिसे देखना बहुत ही शुभ माना जाता है। यहाँ पर माता सती को जयदुर्गा माँ के नाम से प्रसिद्ध है जहाँ पर यह मूर्ति की हसती हुई प्रतीत होती हैऔर यह भी मन जाता है कि यहाँ पर माता साती का झारखंड के वैद्यनाथधाम पर माता का हृदय गिरा था। तब से यहाँ के लोगों में माँ जयदुर्गा ह्रदय में निवास करती है।

नलहाटी कालिका शक्तिपीठ (तारापीठ)

नलहाटी कालिका शक्तिपीठ (तारापीठ) : यह माता सती का शक्ति पीठ मंदिर प्रसिद्ध मंदिरों में से एक जिसे यहाँ के सुन्दर मंदिरों में गिना जाता है। यहाँ पर माता सती की पूजा कालिका माता के रूप में की जाती है। जो बड़े ही धूम-धाम के साथ में की जाती है पूजा के दिन मंदिर को अनोखा और अद्भुद सजाया जाता है। प्राचीन ग्रंथों का मानना है की माता सती यहाँ के पश्चिम बंगाल के जिला वीरभूमि के नलहाटी में स्थित है| यहाँ पर माता सती के पैर की हड्डी गिरी थी। तब से इस स्थान को शक्ति पीठ की शक्ति का नाम कालिका देवी के नाम से जाना जाने लगा है।

कर्णाट जयदुर्गा शक्तिपीठ

कर्णाट जयदुर्गा शक्तिपीठ : कर्णाट में माता सती की पूजा माँ जयदुर्गा के रूप में की जाती है जो यहाँ का धार्मिक और पवित्र स्थान है जो अधिक भव्य दिखाई देता है जिसे देखना बहुत ही शुभ मन जाता जाता है मंदिर अलोकिक और अद्भुद है। जिसे देखना लोग बहुत ही अधिक करता है। जिसकी कल्पना करना बहुत ही मुस्किल है माना जाता है की यहाँ पर माता सती के कर्नाट (अज्ञात स्थान) में माता के दोनों कान गिरे थे। जिससे यह मंदिर और भी अधिक प्रसिद्ध हो गया है।

महिषमर्दिनी शक्तिपीठ :

महिषमर्दिनी शक्तिपीठ : पश्चिम बंगाल में माता सती का बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है जो अति प्रिय है अति सुन्दर दिखाई देता है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग देखने के लिए आते और माता सती के दर्शन महिषमर्दिनी के रूप में पूजा करते है पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रुमध्य (मन:) गिरा था। यह मंदिर बहुत ही सुन्दर है जिसे देखने के लिए लोग भरी मात्रा में आते है जिसकी मानता धार्मिक स्थलों में की जाती है।इस मंदिर की कल्पना करना करना बहुत ही मुश्किल है इस मंदिर के हर तरफ सुनदरता का द्रश्य दिखाई देता है।

यशोर-यशोरेश्वरी शक्तिपीठ :

यशोर-यशोरेश्वरी शक्तिपीठ : यशोर स्थान में माता सती के हाथ की हथेली गिरी थी। जिस कारण सेः मंदिर अधिकतर आस-पास के क्षेत्रों में बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया है। यह मंदिर बांग्लादेश में स्थित है। इस मंदिर की सुन्दरता सभी मंदिरों से अलग है। जो एक धार्मिक स्थल है हिन्दू पुराणिक कथायों के अनुसार माना जाता है की यहाँ पर माता सती के हाथ की हथेली आकर गिरी थी जिससे इस मंदिर की मान्यता ओर भी अधिक बढ़ गई है।

अट्टाहास शक्तिपीठ :

अट्टाहास शक्तिपीठ : पश्चिम बंगला में माता सती के मंदिर का विशेष महत्त्व देखने को मिलता है यहाँ मंदिर प्राचीन काल से निर्मित माना जाता है वेद पुराणों का मानना है की पश्चिम बंगाल के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर माता के ओष्ठ गिरे थे। तब से यहाँ पर हर त्यौहार को बड़े ही हर्ष के साथ में मनाया जाता है मंदिर के चारों ओर का द्रश्य अद्भुद लोकोकित है जो यहाँ पर आने वाल्व यात्रियों को आपनी और आकर्षित करता है।

नंदिनी शक्तिपीठ :

नंदिनी शक्तिपीठ : पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नंदीपुर स्थित बरगद के वृक्ष के समीप माता का गले का हार गिरा था। प्राचीनकाल का निर्मित स्थल माना जाता है , यहाँ पर लोग इस शक्तिपीठ को माँ नंदनी के रूप में पूजा करते है यहाँ पर लोग धार्मिक त्यौहार पर लोग बड़े हर्ष के साथ में मानते है नावरात्रि के समय में और भी मनमोहक होता है।

इन्द्राक्षा शक्तिपीठ श्रीलंका :

इन्द्राक्षा शक्तिपीठ श्रीलंका : माना जाता है की माता सती के शरीर का उसंधि (पेट और जांघ के बीच का भाग) हिस्सा श्रीलंका में आकर गिरा था। जिससे इस मंदिर को शक्तिपीठ माना जाने लगा। हिन्दू पौराणिक ग्रंथों में कहा जाता है। यहां सती का कंठ और नूपुर गिरने का उल्लेख उल्लेख माना जाता है। यहां की शक्ति इन्द्राक्षी तथा भैरव राक्षसेश्वर हैं। यहां पर शिव का मंदिर भी स्थिर है, जिन्हें त्रिकोणेश्वर या कोणेश्वरम के नाम से जाना जाता है।

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