Malala Yousafzai

जान की बाजी लगाकर स्त्री शिक्षा के लिए संघर्ष – मलाला युसुफजई (Malala Yousafzai)

सकारात्मक परिवर्तन के अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण जान की बाजी लगाकर स्त्री शिक्षा के लिए संघर्ष – मलाला युसुफजई मलाला युसुफजई (जन्म 12 जुलाई 1997) स्त्री शिक्षा के लिए आतंकवाद के खिलाफ न झुकने के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर पूरे विश्व में संघर्ष और सकारात्मकता का एक प्रतीक बन गयी है। मलाला का जन्म पाकिस्तान […]

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सकारात्मक परिवर्तन के अंतर्राष्ट्रीय उदाहरण जान की बाजी लगाकर स्त्री शिक्षा के लिए संघर्ष – मलाला युसुफजई

मलाला युसुफजई (जन्म 12 जुलाई 1997) स्त्री शिक्षा के लिए आतंकवाद के खिलाफ न झुकने के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर पूरे विश्व में संघर्ष और सकारात्मकता का एक प्रतीक बन गयी है। मलाला का जन्म पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रान्त के स्वात जिले में स्थित मिंगोरा शहर में हुआ।

मिंगोरा पर तालिबान ने मार्च 2009 से मई 2009 तक कब्जा कर रखा था। 11 साल की उम्र में स्थानीय परिस्थितियों से प्रभावित होकर मलाला ने डायरी लिखनी शुरू की। वर्ष 2009 में छद्म नाम गुल मकई के तहत बीबीसी ऊर्दू के लिए डायरी लिख मलाला पहली बार दुनिया की नजर में आई।

जिसमें उसने स्वात में तालिबान के कुकृत्यों का वर्णन किया था और अपने दर्द को डायरी में बयां किया।

स्वात घाटी में तालिबान ने लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी लगा दी थी। लड़कियों को टीवी कार्यक्रम देखने की भी मनाही थी। मलाला भी इसकी शिकार हुई। लेकिन अपनी डायरी के माध्यम से मलाला ने क्षेत्र के लोगों को न सिर्फ जागरुक किया बल्कि तालिबान के खिलाफ खड़ा भी किया।

जिससे बौखलायें तालिबानियों ने मलाला को अपना निशाना बनाया। वर्ष 2009 में तालिबान ने फतवा जारी किया कि 15 जनवरी के बाद एक भी लड़की स्कूल नहीं जाएगी। यदि कोई इस फतवे को मानने से इंकार करता है तो अपनी मौत के लिए वह खुद जिम्मेदार होगा।

मलाला पर तालीबानी धमकी का कोई असर नहीं हुआ और वह अपने कार्यों से स्त्री-शिक्षा को प्रोत्साहित करने और अपनी कलम से तालीबानियों की अमानवीय नीतियों को विश्व के सामने रखने का काम निर्भीकता से करती रही।

इस रचनात्मक संघर्ष के दमन के लिए अक्टूबर 2012 में स्कूल से लौटते वक्त मलाला पर आतंकियों ने हमला किया जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गई। बाद में इलाज के लिए उन्हें ब्रिटेन ले जाया गया जहाँ डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बाद उन्हें बचा लिया गया।

मलाला को मिले पुरस्कार और सम्मान :

स्त्री शिक्षा के प्रति असाधारण प्रतिबद्धता के लिए मलाला को राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक मंचों से प्रशंसा पुरस्कार और सम्मान मिले जिनमें से कुछ प्रमुख हैं-

  • पाकिस्तान का राष्ट्रीय युवा शांति पुरस्कार (2011),
  • अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार (2013),
  • साखारफ (सखारोव) पुरस्कार (2013),
  • मैक्सिको का पुरस्कार (2013),
  • समानता पुरस्कार (2013) और
  • संयुक्त राष्ट्र का 2013 मानवाधिकार सम्मान इत्यादि ।

2014 के नोबल पुरुस्कार विजेता मलाला

जान की बाजी लगाकर शिक्षा के लिए संघर्ष लेकिन इन सब पुरस्कारों और सम्मानों की श्रृंखला में सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण था 2014 में भारत के कैलास सत्यार्थी के साथ नोबेल शांती पुरस्कार से सम्मानित होना।

नोबल पुरस्कार प्रदान किये जाने का समाचार पाकर मलाला ने इच्छा व्यक्त की कि उनके और कैलाश सत्यार्थी जी को जब नोबल पुरस्कार प्रदान किया जाये तो पुरस्कार वितरण समारोह में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री साथ-साथ हिस्सेदारी करें। यह भावना मलाला के विश्वशांति के दर्शन को अभिव्यक्त करती है।

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