करवा चौथ के दिन सबुह बिना नहाए चार से 5 बजे के बीच सरगी खाने का रिवाज है
सरगी सास अपनी बहु को देती है
सरगी के माध्यम से दूध, सेवई आदि खिला देती हैं। फिर शृंगार की वस्तुएं- साड़ी, जेवर आदि करवा चौथ पर देती हैं। इसमें अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार, फल मिठाई, मट्ठी, दूध, आदि ले सकते हैं। लेकिन इसे सुबह बिना नहाए खाया जाता है
एक बार सरगी खाने के बाद न पानी पी सकते हैं और न ही कुछ खा सकते हैं
निर्जला व्रत का संकल्प लें
सुबह जल्दी उठाकर नहाने के बाद पति की लम्बी उम्र और बेहतर स्वास्थ के साथ ही अखंड सौभाग्य के लिए
करवा चौथ मुहूर्त (Karwa Chauth Muhurt)
अभिजित मुहूर्त-11:44AM से 12:30PM
विजय मुहूर्त- 2:03 PM से 2:49 PM
गोधूलि मुहूर्त- 5:42 PM से 06:06 PM
अमृत काल- 4:08 PM से 05:50 PM
ब्रह्म मुहूर्त- 4:41 AM से 5:31 PM
पूजा के समय थाली में मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन,
पान, कलश, चंदन, फूल, हल्दी, चावल, मिठाई, कच्चा, दूध, दही, देसी घी, शहद, शक्कर का बूरा, रोली, कुमकुम, मौली ये सभी सामान होना जरूरी है
सोलह श्रृंगार का सामान जैसे महावर, कंघा, मेहंदी, सिंदूर, चुनरी, बिंदी, चूड़ी, छलनी, बिछिया
करवा माता की तस्वीर, अगरबत्ती, कपूर, दीपक, गेहूं, रूई की बाती,
लकड़ी का आसन, दक्षिणा, लहुआ, 8 पूरियों की अठावरी भी पूजा के लिए रखें
करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है
करवा चौथ का व्रत
सुहागन महिलाएं इस दिन देवी पार्वती के स्वरूप चौथ
माता,भगवान शिव और कार्तिकेय के साथ-साथ श्री गणेशजी की पूजा करती हैं
कामना करते हुए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं
इस व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की
रात में चांद के दर्शनों के बाद ही व्रत पूरा माना जाता है
जो पति-पत्नी किसी कारणवश एक दूसरे से बिछड़ जाते हैं,चन्द्रमा की किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचाती हैं,इसलिए करवा चौथ के दिन चन्द्रमा की पूजा कर महिलाएं ये कामना करती हैं कि किसी भी कारण से उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़े