Mata Chandraghanta 2022 : हिंदू पर्व में शारदीय नवरात्र का बहुत ही विशेष महत्त्व होता है। इस साल 2022 में अश्विन शुल्क पक्ष प्रतिपदा के तृतीय दिन 29 सितम्बर को माता आदिशक्ति के तृतीय रूप की पूजा बड़े धूम धाम से की जायेगी। इस दिन माता चन्द्रघंटा की पूजा की जायेगी।
माँ दुर्गा जी के तीसरे शक्ति स्वरुप का नाम माँ चंद्रघंटा है। नवरात्रि की उपासना में तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक धार्मिक महत्व है । नवरात्रि के इस दिन माँ चंद्रघंटा का पूजन और आराधना की जाती है। नवरात्रि के इसी दिन साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
पौराणिक मान्यताओं अनुसार माँ चंद्रघंटा की कृपा से अलौकिक जीव,जगत और वस्तुओं के दिव्य दर्शन प्राप्त होते हैं, दिव्य और अलौकिक रस एवं सुगंधियों का अनुभव होता है। साधक को विविध प्रकार की दिव्य ध्वनियाँ और ॐ कर की ध्वनियाँ सुनाई देने लगती हैं। ये क्षण साधक के लिए अत्यंत सावधान रहने के होते हैं और माँ चंद्रघंटा की कृपा बनी रहे ।
Mata Chandraghanta 2022
माता चन्द्रघंटा के सिर पर अर्ध चन्द्र होता है और यह बाघ की सवारी करती हैं। माता की पूजा करने से घर में शांति और सम्रधि बनी रहती है। माता अपनी अष्टभुजाओं में अस्त्र शस्त्र धारण किये हुए भक्तों को आशीर्वाद देते हुए मुद्रा में इनका आगमन होता है।
माता की तृतीय दिन पूजा करने से पहले आप स्नान करके माता की प्रतिमा या तस्वीर को जल अर्पण कर ,दीपक जलाकर माता को पुष्प अर्पित करें। माता आदिशक्ति के इस रूप की पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है। माता को मीठे पकवानों का भोग लगाकर उनका आशीर्वाद ग्रहण करे साथ ही माता के इस मंत्र का उच्चारण जरुर करे।
“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”
मां चंद्रघंटा की कृपा अगर भक्त पर हो जाये तो उसके समस्त पाप और बाधाएँ नष्ट हो जाती हैं। मां चंद्रघंटा की आराधना सुखकारी फलदायी है। माँ अपने भक्तों के कष्ट का निवारण अतिशीघ्र ही कर देती हैं। मां चंद्रघंटा का उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है।
मां चंद्रघंटा के घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों को भूत प्रेतबाधा से हमेशा रक्षा करती है। मां चंद्रघंटा का ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए मां चंद्रघंटा के घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण रहता है। मां चंद्रघंटा आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति-गुण की वृद्धि होती है। भक्त के स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है।
माँ चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहाँ भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव प्राप्त करते हैं। मां चंद्रघंटा के आराधक के शरीर से सकारात्मक दिव्य प्रकाश युक्त परमाणुओं का अदृश्य विकिरण निकलता रहता है।
यह दिव्य प्रकाश साधारण आखों से दिखाई नहीं देती, लेकिन जो भी साधक से संपर्क में आता हैं उसे अनुभव होने लगता हैं। मां चंद्रघंटा विद्यार्थियों के लिए विद्या प्रदान करती है। मां चंद्रघंटा साधक की सभी प्रकार से रक्षा करती है।
इसका अर्थ : हे माँ जगदम्बें! आप सर्वत्र विराजमान और चंद्रघंटा के रूप में आप प्रसिद्ध हे अम्बे, आपको मेरा बार-बार सत-सत प्रणाम है। हे माँ मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ जगदम्बें! मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
नवरात्र के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा के लिए सांवली रंग की ऐसी विवाहित महिला जिसके चेहरे पर तेज हो बिना मैकअप के, उसे सम्मानपूर्वक भोजन प्रसाद के लिए आमंत्रण करना चाहिए और उसका उनका पूजन करना चाहिए। उसे भोजन में दही और हलवा का प्रसाद खिलाएँ। भेंट स्वरुप कलश और मंदिर की घंटी भेंट करना चाहिए।
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