हमारे भारतीय दर्शन में अहिंसा पे कुछ श्लोक मिलते हैं जो प्राचीन के साथ-साथ महत्वपूर्ण और विशेष सारगर्मित हैं।
- “जो मनुष्य किसी को राक्षव भाव से नष्ट करना चहता है, वह स्वयं अपने कर्मों से नष्ट हो जाता है।” – ऋग्वेद
- “आप अपने शरीर से किसी को पीड़ित न करें।” – यजुर्वेद
- “अहिंसा परम धर्म है अहिंसा परम तप है, अहिंसा परम ज्ञान है, और अहिंसा ही परम पद है” –श्रीमद् भागवत
- “जब कोई व्यक्ति अहिंसा की कसौटी पर खरा उतर जाता है, तो दूसरे व्यक्ति स्वंय ही उसके पास आकर बेर भाव भूल जाते हैं।” –पतंजलि
- “अहिंसा परमो धर्मः।” –वेदव्यास (महाभारत)
- ” बिना किसी शस्त्र या अस्त्र से पृथ्वी को जीतना चाहिए।” – महात्मा बुद्ध
- “जियो और जीने दो।” – महावीर स्वामी
- “जिस प्रकार भौरा फूलों की रक्षा करता हुआ पराग को ग्रहण करता है, उसी प्रकार मनुष्य को हिंसा न करते हुए अर्थों को ग्रहण करना चाहिए।” – विदुर