Mother Teresa
जीवन

सेवा और प्रेम की प्रतिमूर्ति संत मदर टेरेसा

Rate this post

पीड़ित मानवता की सेवा ही ईश्वर सेवा है, करुणा और सेवा की साकार मूर्ति मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को यूगोस्लाविया में हुआ। वे 1929 में यूगोस्लाविया से भारत आई और कोलकता को केन्द्र मानकर अपनी गतिविधियाँ शुरू की।

जिस आत्मीयता से उन्होंने भारत के दीन-दुखियों की सेवा की उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा। दीन-दुखियों की सेवा में लिए मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चेरिटी नाम की संस्था की स्थापना की। मानवता की सेवा के लिए उन्हें विश्व के अनेक सम्मान एवं पुरस्कारों से नवाजा गया।

संत मदर टेरेसा जिसमें 1962 में पद्मश्री, 1969 में नोबेल पुरस्कार, 1980 में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न, और 1985 में मेडल ऑफ फ्रीडम प्रमुख हैं।


मदर टेरेसा जब भारत आई तो उन्होंने यहाँ बेसहारा और विकलांग बच्चों तथा सड़क के किनारे पड़े असहाय रोगियों की दयनीय स्थिति को अपनी आँखों से देखा और फिर वे भारत से मुँह मोड़ने का साहस नहीं कर सकीं। वे यहीं रूक गई और आजीवन जनसेवा का व्रत लिया, जिसे 5 सितम्बर 1987 को अपनी मृत्युपर्यन्त पूरी निष्ठा से निभाती रहीं।

मदर टेरेसा ने भ्रूण हत्या के विरोध में भी सारे विश्व में रोष प्रकट किया तथा समाज में अनाथ, अवैध माने जानी वाली सन्तानों को अपना कर मातृत्व सुख प्रदान किया। उन्होंने फुटपाथों पर पड़े हुए रोते सिसकते रोगी अथवा मरणासन्न असहाय व्यक्तियों को उठाया और अपने सेवा केन्द्रों में उनका उपचार कर स्वस्थ्य बनाया। दुखी मानवता की सेवा ही उनके जीवन का व्रत था।

दीन-दुखियों की गरीबी, उपेक्षितों के प्रति समाज का व्यवहार और रोगियों, अपाहिजों की सेवा किसी भी सभ्य समाज के सामने महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। हम सब कभी न कभी इसके सम्पर्क में आये हैं और द्रवित भी हुए हैं किन्तु मदर टेरेसा ने एक सच्चे नेतृत्वकर्ता के रूप में इस समस्या को समझा।

पीड़ितों की सेवा का संकल्प लेकर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ समाज को भी संवेदनशील बनाया। अपने अभियान में लोगों को साथ जोड़ा। अपने संगठन मिशनरीज ऑफ चैरिटीज के माध्यम से पीड़ितों की सेवा को एक संगठनात्मक स्वरूप प्रदान कर और उसे समाज से अर्थपूर्ण रूप में जोड़कर नवाचार किया।

इस नवाचार का व्यवहार में प्रयोग कर पूरे समाज के सामने अपने योगदान से अभियान को सफल बनाया और इस भावना को जन-जन तक पहुँचाया।

मदर टेरेसा का जन्म भारत में भले ही न हुआ हो, लेकिन अपने व्यक्तित्व और कार्यों के कारण वे एक सफल नेतृत्व कर्ता के रूप में करोड़ों भारतवासियों की आदर्श बनकर एक ममतामयी माँ के रूप में सदा हमारे दिलों में रहेंगी।