पूरा देश इला भट्ट को रोजगार सृजन, विशेषकर महिलाओं के रोजगार को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से नेतृत्वकर्ता के रूप में देखता है। उन्होंने 1972 में स्वयंसेवी संस्था सेवा (Self Employed Women Association) की स्थापना कर महिलाओं को संगठित कर स्वरोजगार प्रारम्भ करने और उसकी उचित मार्केटिंग द्वारा अच्छा मूल्य कमाने के विकल्प को प्रस्तुत किया।
इला भट्ट भारत की गरीबी विशेषकर महिलाओं की दरिद्रता से पीड़ित और आहत थीं। उन्होंने विचार किया कि महिलाओं को इस दीन-हीन दशा से उबारने का केवल एक ही रास्ता है और वह है रोजगार।। भारत जैसे पारंपरिक समाज में महिला रोजगार की चर्चा करना सरल नहीं था।
किन्तु उन्होंने दृढ़तापूर्वक गुजरात के गाँवों में ग्रामीण महिलाओं के सामने अपने विचार को रखा और प्रभावी ढंग से रोजगार के नवीन क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं को रोजगार दिलाया। महिलाओं को पूंजी उपलब्ध कराने की दृष्टि से वूमेन्स बैंक की स्थापना की।
महिलाओं को समूहों में संगठित किया और मिलकर रोजगार करने की दिशा दी। अपने प्रयासों की व्यापक सफलता से प्रभावित होकर उन्हें कम्युनिटी लीडरशिप के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से नवाजा।