Chandragupt Mu

भारत के महान सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य, मौर्यवंश के संस्थापक

Rate this post

भारत के महान सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य, मौर्यवंश के संस्थापक थे। उनके राज्य में चारों ओर सुख शांति छाई हुई थी । एक दिन पिप्पलिवन में मगध के सैनिकों ने पिप्पलिवन पर आक्रमण कर दिया। सूर्यगुप्त को मगध सैनिकों ने बंदी बना लिया। महारानी मुरा देवी रोते हुए ये सब देख रही थी । सूर्यगुप्त मुरा देवी से मिले और कहा, हम तुम्हारे पास अपनी एक अमूल्य निधि छोड़कर जा रहे है, जिसे कोई भी तुमसे अलग नहीं कर पाएगा। मगध राजा भी नहीं । मुरा देवी गर्भवती थी ।


निश्चित समय पर मुरा देवी ने एक प्यारे-से शिशु को जन्म दिया । नन्हे शिशु का मुखड़ा चंद्रमा के समान प्रदीप्त हो रहा था। इस शुभ अवसर पर यदि वह पिप्पलिवन में होती तो वहां के घर-घर में खुशियों के दीप जलाए जाते, आनंदोत्सव मनाया जाता। मगर आज तो वह बंदी थी.. मगधराज नंद के अंतपुर की एक मामूली-सी दासी थी।

उसने अपने पुत्र का नाम चंद्र रखा।अब चंद्र युवा हो गया तो रानी मुरा देवी ने उसे शिक्षा के लिए आचार्य चाणक्य के पास तक्षशिला भेज दिया । तक्षशिला में आकर चंद्र ने आचार्य चाणक्य के चरण स्पर्श करने के बाद चंद्र बोला “मैं पिप्पलिवन के महाराजा सूर्यगुप्त का पुत्र चंद्रगुप्त हुँ।”

आचार्य चाणक्य ने चंद्र के रोषपूर्ण चेहरे और आंखों में उमड़ते प्रतिशोध के शोलों को देखकर आचार्य चाणक्य को लगा कि इसी की तो उन्हें प्रतीक्षा थी। आचार्य ने चंद्रगुप्त को शिष्य के रूप में स्वीकार कर लिया।


आचार्य कि चिंता देख कर चंदगुप्त ने पुछा आप कुछ चिन्तीत लग रहे हैं। आचार्य ने कहा हाँ वत्स मेरी चिंता का कारण पश्चिम दिशा से उठने वाला सिकंदर नाम का तुफान है, जो निरंतर भारतवर्ष की ओर बढ़ता चला आ रहा है । उस युनानी तूफान को हमें रोकना होगा, और ऐसा तभी संभव है जब संपूर्ण भारतवर्ष के सभी राज्यों का एक बड़ा संघ बना लें और उसका एक प्रधान हो।

इससे कोई भी विदेशी आक्रमण कर्ता हमारी ओर बढ़ने का दुस्साहस नहीं करेगा।सिकंदर कि सेना को आता देख आचार्य चाणक्य ने मगध राजा धननंद के पास जा कर अपनी बात कही। पर धननंद ने अपने अहंकार के कारण आचार्य की बात नहीं मानी और उसने आचार्य चाणक्य का अपमान करके उनकी शिखा पकड़कर उन्हें बाहर ले जाने लगे तभी आचार्य ने प्रतिज्ञा की, जबतक में नंद वंश का समूल नाश न कर दूंगा, अपनी शिखा न बांधुंगा ।


इधर सिंकदर वाहीक प्रांत में अपने प्रमुख फिलिप को नियुक्त कर स्वदेश लौट गया। इसी बीच चन्द्रगुप्त ने एक अनोखी योजना बनाई। कुछ दास दासियों के रूप में वीर सैनिकों और सुन्दर वीरांगनाओं को लेकर रूप बदल कर चंद्रगुप्त फिलीप के महल पहुंच गए।

चंद्रगुप्त ने फिलीप को बताया कि ये सुन्दर दासी तलवार बाजी में माहिर है। फिलीप ने तलवार बाजी करने की अनुमति दी । उनका नाम करभिका है। करभिका ने तीव्र गति से फिलीप पर आयात किया । उसकी गर्दन कटकर दूर जा गिरी।

चन्द्रगुप्त करभिका के साथ यूनानी सेना से लोहा लेने सिंधु तट पहुंचे। वाहीक प्रांत के सभी जनपदों, कश्मीर की सेना ने भी भरपूर सहायता की दूसरी ओर यूनानी सेनापति युधिंदमस ने अपने सभी सहयोगी राज्यों को लेकर चन्द्रगुप्त के साथ भयंकर युद्ध किया।

लेकिन चन्द्रगुप्त की तलवार बड़ी तेजी से शत्रुओं पर वार कर विजय प्राप्त की। चंद्रगुप्त ने युधिदमस की सेना को पराजित करने के बाद उनका नाम सफल सेनापतियों की श्रेणी में आ चुका था। अब चन्द्रगुप्त ने मगध को चारो तरफ से घेर लिया कई और षड्यंत्र करने के बाद भी चन्द्रगुप्त ने मगध पर विजय प्राप्त कर ली।


मगध पर सत्ता परिवर्तन हो चुका था नए सम्राट के रूप में चंद्रगुप्त का राज्यभिषेक होने की तेयारियाँ चल रही थी। सिकंन्दर के सेनापति सेल्यूकस ने आक्रमण कर दिया। चंद्रगुप्त तुरन्त युद्ध करने जा पंहुंचा। चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को हराकर उसकी पुत्री हेलेना से विवाह कर लिया ।

चन्द्रगुप्त के राज्यभिषेक के बाद भारत वर्ष के सभी छोटे-बड़े राज्यों, जनपदों और गणराज्यों को एकता के सूत्र में बांधकर.. एक शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण कर एक नवीन साम्राज्य की नींव डाली। उनकी राजधानी का नाम पाटलीपुत्र था।

चन्द्रगुप्त करभिका के साथ यूनानी सेना से लोहा लेने सिंधु तट पहुंचे। वाहीक प्रांत के सभी जनपदों, कश्मीर की सेना ने भी भरपूर सहायता की दूसरी ओर यूनानी सेनापति युधिंदमस ने अपने सभी सहयोगी राज्यों को लेकर चन्द्रगुप्त के साथ भयंकर युद्ध किया। लेकिन चन्द्रगुप्त की तलवार बड़ी तेजी से शत्रुओं पर वार कर विजय प्राप्त की।

चंद्रगुप्त ने युधिदमस की सेना को पराजित करने के बाद उनका नाम सफल सेनापतियों की श्रेणी में आ चुका था। अब चन्द्रगुप्त ने मगध को चारो तरफ से घेर लिया कई और षड्यंत्र करने के बाद भी चन्द्रगुप्त ने मगध पर विजय प्राप्त कर ली।

इन्हें भी देखे

भारत के महान सम्राट चन्द्र गुप्त मौर्य, मौर्यवंश के संस्थापक

इतिहास का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य एक महान योद्धा सम्राट अशोक

महान राजपूत योद्धा पृथ्वीराज चौहान

महान गौंड राज्य की महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती 

महाराणा प्रताप भारत की धरती का वीरपुत्र जिसने कभी समझौता नहीं किया 

मरतेदम तक लड़ती रही झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई 1857

वीर योद्धा जिसने देश के लिए योगदान दिया महानायक छत्रपति शिवाजी महाराज

भारत की आजादी के इतिहास के पन्नों से गुम आदिवासियों का योगदान भागवान विरसा मुंडा

Comments are closed.

error: Content is protected !!
Indian Army Day 2024 : 15 जनवरी भारतीय सेना के लिए स्पेशल क्यों है Pushkar Mela 2023 : राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले में विदेशियों पर्यटकों का आगमन Air Pollution in India : दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में एयर पॉल्यूशन का स्तर 10 गुना ज्यादा खतरनाक Karwa Chaoth : करवा चौथ व्रत की पूजा सामग्री Maa Narmda Nadi Story : माँ नर्मदा नदी
Indian Army Day 2024 : 15 जनवरी भारतीय सेना के लिए स्पेशल क्यों है Pushkar Mela 2023 : राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले में विदेशियों पर्यटकों का आगमन Air Pollution in India : दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में एयर पॉल्यूशन का स्तर 10 गुना ज्यादा खतरनाक Karwa Chaoth : करवा चौथ व्रत की पूजा सामग्री Maa Narmda Nadi Story : माँ नर्मदा नदी