Pandav
कहानी

Pandav Vanvas : पांडवों का वनवास महाभारत काल

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महाभारत काल में पांडवों का वनवास (Pandav Vanvas) काल का समय बहुत महत्वपूर्ण था। पांडवों को चौसर में मिली हार के बाद 12 बरस का बनवास कॉल मिला जिस कारण पांडव पूरे भारतवर्ष के घने और बियाबान जंगलों में इधर-उधर भटकते रहे। पांडवों का वन में भटकने के दौरान उन्होंने कई ऐसे विशेष कार्य किए जो आज भी ऐतिहासिक स्थलों पर मौजूद है।

चाहे वह पन्ना जिले में मौजूद पांडव केव्स हो या फिर छतरपुर जिले में मौजूद भीमकुंड कहीं ना कहीं पांडवों के महाभारत काल में दर्शाए घटनाओं से और उनके वनवास काल में गुजारे गए समय भारत के अनेक स्थानों से उनका संबंध रहा है।

पांडव वनवास, जिसे “पांडवों के निर्वासन” के रूप में भी जाना जाता है, निर्वासन की अवधि को संदर्भित करता है कि पांच पांडव भाइयों, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव को एक खेल में अपनी हार की शर्तों के अनुसार गुजरना पड़ा।

हिंदू महाकाव्य, महाभारत के अनुसार, पांडवों को तेरह साल के लिए निर्वासित किया गया था, जिसमें बारह साल जंगल में रहना और एक साल गुप्त रहना शामिल था। इस अवधि के दौरान, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा और जंगल में रहते हुए उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

उन्हें कई ऋषियों और पवित्र पुरुषों का भी सामना करना पड़ा जिन्होंने उन्हें ज्ञान और ज्ञान प्रदान किया, जिससे उन्हें बेहतर योद्धा और शासक बनने में मदद मिली। पांडवों को अपने वनवास के दौरान विभिन्न खतरों का भी सामना करना पड़ा, जिसमें राक्षसों और प्रतिद्वंद्वी जनजातियों के हमले भी शामिल थे।

हालाँकि, इन चुनौतियों के बावजूद, पांडव अपने निर्वासन से बचने में कामयाब रहे और अपने सही स्थान को पुनः प्राप्त करने और कुरुक्षेत्र के महाभारत युद्ध में अपने दुश्मनों को हराने के लिए अपने राज्य में लौट आए।

पांडवों का वनवास (Pandav Vanvas)

आज हिंदू धर्म में जहां-जहां पांडवों ने वनवास (Pandav Vanvas) काल के दौरान अपना समय व्यतीत किया वहां पर उन्होंने भगवान भोलेनाथ की आराधना के लिए शिवलिंग की स्थापना भी की। आज हम इस लेख में यही जानेंगे कि महाभारत काल में पांडवों द्वारा भगवान शिव शंकर के स्वरूप शिवलिंग की स्थापना किन किन स्थानों में भारतवर्ष में की गई।

भय हरण महादेव उत्तर प्रदेश

यह पावन शिवलिंग उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में भय हरण महादेव के नाम से स्थित है। यहां पर यह मान्यता है कि इस मंदिर में जो शिवलिंग है उसकी स्थापना पांडवों द्वारा वनवास काल में की गई थी। यह शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही व्यक्तियों के कई भय और कई उलझन और बिगड़े हुए कर सुलझ जाते हैं ऐसी मान्यता है।

लोधेश्वर महादेव

लोधेश्वर महादेव भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग जो बाराबंकी जिला उत्तर प्रदेश में स्थित है। कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास की सलाह पर इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

पड़िला महादेव

भगवान भोलेनाथ को विशेष महत्त्व वाला यह शिवलिंग उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में मां गंगा के किनारे स्थित है। हिंदू धर्म में इलाहाबाद और गंगा का तो विशेष महत्व है ही यह शहर भक्ति में शहर है। चीन के बनती है कि पाटलिपुत्र की यात्रा के दौरान पांडवों ने इस स्थान पर ऋषि भारद्वाज से आज्ञा प्राप्त कर भगवान शिव के प्रति शिवलिंग की स्थापना की और उसकी पूजा के आगे जाकर पांडेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।

ममलेश्वर महादेव

पांडव वनवास काल (Pandav Vanvas) के दौरान हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र की यात्रा पर थे तब उनकी भेंट राक्षसी कुल में से ताल्लुक रखने वाली हिडिंबा से हुई थी और इसी स्थान पर भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ था। इस स्थान पर पांडवों ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी उस शिवलिंग को ममलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

गंगेश्वर महादेव

गंगेश्वर महादेव शिवलिंग प्रकृति की खूबसूरती के लिए भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर दमन और दीव मैं बसा है। पांडवों ने वनवास काल के दौरान इस स्थान पर महादेव जी का एक मंदिर बनवाया था। जिस में पांचों पांडवों ने मिलकर 5 शिवलिंग स्थापित किए थे।

पांडव के महाभारत काल में पांडवों का निवास स्थान (Pandav Vanvas)

भारत की सबसे बड़ा दूसरा पर्वत प्राचीन विंध्याचल पर्वत जो प्रकृति की गोद में बसा पन्ना और अरावली पर्वतमाला से चोरों ओर से घिरा हैं। वाही पर पांडवों ने वनवास कल में कुछ समय इसी स्थल के पास रुके थे। इसी के पास हैं प्रसिद्ध पांडव जलप्रपात है। यह मनमोहक प्राकर्तिक सुंदरता के साथ धार्मिक महत्त्व के कारण पर्यटकों को बहुत ही लोकप्रिय एवं पसंदीदा स्थल हैं।

पांडव जलप्रपात जो एक विशालकाय झरना हैं। इस झरने का उल्लेख महाभारत काल मैं भी मिलता है महाभारत काल में जब पांडवों को 14 साल का बनवास (Pandav Vanvas) काटना था। तब पांडव इसी झरने के पास आकर काफी समय तक वहां रहे थे। Pandav Vanvas के दौरान यहीं पर उन्होंने पांडव गुफाओं का निर्माण किया था। जिसे पांडव की गुफाओं के नाम से भी जाना जाता है।

आपको यहां पर पांडवों द्वारा निर्मित भगवान शिव के शिवलिंग भी देखने को मिलेगा। जिसके बारे में कहा जाता है क्या शिवलिंग पांडवों द्वारा भगवान शिव की स्तुति और आराधना के लिए स्थापित किया गया था। यह जगह बहुत खूबसूरत है पांडव गुफा एवं झरना पन्ना नेशनल पार्क के अंदर ही स्थित है।