Shardiya Navratri

Navratri : शारदीय नवरात्रि माँ दुर्गा का पहला दिन क्यों होगा खास

5/5 - (1 vote)

Shardiya Navratri : हमारे हिंदू धर्म में नवरात्रि का पावन पर्व साल में दो बार मनाया जाता है, जिसमे पहला चैत्र नवरात्र और दूसरा शारदीय नवरात्र जिसमे माँ दुर्गा की पूजा बड़ी ही श्राद्ध भक्ति के साथ की जाती हैं। इन दोनों नवरात्रों में दुर्गा माँ धरती पर आती हैं और अपने भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते।

नवरात्रि की शुरुआत जिस दिन होता है उस दिन के आधार पर उनकी सवारी यानि कि वाहन तय होता है और जिसका फल भी अलग अलग होता है। ऐसे ही जिस दिन दुर्गा माँ की विदाई यानी कि दशमी तिथि होती है, उस दिन के आधार पर प्रस्थान की सवारी यानी कि वाहन तय होती हैं और इसका फल भी अलग अलग होता हैं. सभी की सारी मनोकामनाएं को पूर्ण करके वापस धरती लोक से प्रस्थान यानि कि गमन करती हैं।

यह तो हम सभी जान ही चुके हैं कि इस साल 3 अक्टूबर 2024 दिन शनिवार को शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र में दुर्गा माँ का आगमन धरती पर घोड़े की सवारी से होगा जो कि सत्ता परिवर्तन और पड़ोसी देशों से युद्ध होने का संकेत देती हैं. स्वप्र शास्त जानते हैं 2024 में दुर्गा माँ का गमन किस वाहन से होगा तो आइए जानते हैं, कि नवरात्रि की दशमी तिथि 12 अक्टूबर दिन गुरुवार को होने से दुर्गा माँ का प्रस्थान यानि कि गमन किस वाहन से होगा और वह कैसा फलदायक होगा।

माँ आदि शक्ति दुर्गा के मुख्य वाहन

सिहं माँ दुर्गा का विशिष्ट वाहन है पुराणिक कथायों के अंतर्गत जब महिसाशुर ने अलग-अलग देवों पर आक्रमण किये थे तो उन्होंने महिसाशुर से लड़ने के लिए हथियार दिए तो जंगल के राजा उन्हें एक शेर दिए।

Shardiya Navratri

नवरात्र की दशमी तिथि अगर गुरुवार और शुक्रवार हो तो दुर्गा माँ भैंसा की सवारी से जाती है जिससे देश में रोग और दोष बढ़ता है।

नवरात्र की दशमी तिथि गुरुवार और शुक्रवार हो तो माता रानी चरणायुध यानि कि मुर्गे पर सवार होकर जाती है जिससे दुःख और कष्ट में वृद्धि होती है।

दुर्गा माँ हाथी पर सवार होकर जाती हैं जिससे बारिश अधिक होती हैं और जिसे खेती सहित कई चीजों के लिए अनुकूल माना जाता है।

जब नवरात्र की दशमी तिथि 12 अक्टूबर दिन गुरुवार हो तो दुर्गा माँ मनुष्य की सवारी (शव) से जाती हैं इससे सुख और शांति में वृद्धि होती हैं।

इस साल नवरात्र की दशमी तिथि 12 अक्टूबर दिन शनिवार को हैं, जिससे कि दुर्गा माँ मनुष्य की सधेरी यानि कि शव पर सवार होकर धरती से गमन (प्रस्थान) करेंगी जिससे कि सुख और शांति की वृद्धि होगी. आप सभी को चैत्र नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएं और हम सभी पूरी श्रद्धा भक्ति भाव से माता रानी से प्रार्थना करें कि हे माता रानी। आप हम सबकी ज़िंदगी में सुखों की, खुशियों की और शांति की की वृद्धि करके अपना आशीर्वाद देकर मनुष्य जाओ.” की सवारी से

माँ शैलपुत्री

नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है। माँ दुर्गा का पहला रूप शैलपुत्री हैं। “शैल” का अर्थ होता है पर्वत, और शैलपुत्री को पर्वत की पुत्री कहा जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि शैलपुत्री कैलाश पर्वत की बेटी हैं, लेकिन इसका गहरा अर्थ यह है कि शैलपुत्री चेतना के सर्वोच्च शिखर का प्रतीक हैं। यह ध्यानयोग के मार्ग में विशेष महत्व रखता है। जब ऊर्जा अपनी चरम अवस्था पर होती है, तभी चेतना के इस सर्वोच्च स्थान का अनुभव किया जा सकता है। इससे पहले, यह समझ पाना कठिन होता है।

शिखर का अर्थ यहाँ हमारे भीतर की गहन भावनाओं और अनुभवों का सर्वोच्च स्तर है। उदाहरण के तौर पर, जब हम 100% गुस्से में होते हैं, तो हम अनुभव करते हैं कि वह क्रोध हमारी ऊर्जा को खत्म कर देता है। यह इसलिए होता है क्योंकि हम अपने गुस्से को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर पाते। लेकिन जब हम पूरी तरह से क्रोध को महसूस कर उसे व्यक्त करते हैं, तो उस उर्जा की तीव्रता को महसूस करने के बाद हम जल्दी से उस गुस्से से बाहर भी आ जाते हैं। ठीक इसी प्रकार, जब आप किसी भी भावना को पूर्ण रूप से अनुभव करते हैं, तो आप उस भावना से मुक्त हो जाते हैं।

बच्चों का व्यवहार भी इसी सिद्धांत का उदाहरण है। जब वे गुस्सा होते हैं, तो वे पूरी तरह से उस क्रोध को जीते हैं, और फिर कुछ ही देर में उसे छोड़ देते हैं। इसके विपरीत, जब हम गुस्से में होते हैं, तो वह हमें थका देता है, क्योंकि हम उसे पूर्ण रूप से व्यक्त नहीं कर पाते।

इसलिए, जब हम किसी भी अनुभव या भावना के शिखर पर पहुँचते हैं, तो हम दिव्य चेतना के उद्भव का अनुभव करते हैं। शैलपुत्री का असली अर्थ यही है – चेतना के सर्वोच्च शिखर का प्रतीक।

नवरात्रि के पहले दिन, प्रतिपदा पर सफेद रंग के कपड़े पहनने से भी माँ शैलपुत्री की कृपा प्राप्त होती है।

माँ दुर्गा का महामंत्र

। । या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: । ।

माँ शैलपुत्री की पूजा के लिए आप “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:” मंत्र का जाप कर सकते हैं।

प्रथमं दिन माँ शैलपुत्री की पूजा इस मंत्र के साथ शुरु करे। माँ शैलपुत्री आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Indian Army Day 2024 : 15 जनवरी भारतीय सेना के लिए स्पेशल क्यों है Pushkar Mela 2023 : राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले में विदेशियों पर्यटकों का आगमन Air Pollution in India : दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में एयर पॉल्यूशन का स्तर 10 गुना ज्यादा खतरनाक Karwa Chaoth : करवा चौथ व्रत की पूजा सामग्री Maa Narmda Nadi Story : माँ नर्मदा नदी
Indian Army Day 2024 : 15 जनवरी भारतीय सेना के लिए स्पेशल क्यों है Pushkar Mela 2023 : राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेले में विदेशियों पर्यटकों का आगमन Air Pollution in India : दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में एयर पॉल्यूशन का स्तर 10 गुना ज्यादा खतरनाक Karwa Chaoth : करवा चौथ व्रत की पूजा सामग्री Maa Narmda Nadi Story : माँ नर्मदा नदी