Nonviolence in Indian Philosophy

भारतीय दर्शन में अहिंसा

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हमारे भारतीय दर्शन में अहिंसा पे कुछ श्लोक मिलते हैं जो प्राचीन के साथ-साथ महत्वपूर्ण और विशेष सारगर्मित हैं।

  1. “जो मनुष्य किसी को राक्षव भाव से नष्ट करना चहता है, वह स्वयं अपने कर्मों से नष्ट हो जाता है।” – ऋग्वेद
  2. “आप अपने शरीर से किसी को पीड़ित न करें।” – यजुर्वेद
  3. “अहिंसा परम धर्म है अहिंसा परम तप है, अहिंसा परम ज्ञान है, और अहिंसा ही परम पद है” –श्रीमद् भागवत
  4. “जब कोई व्यक्ति अहिंसा की कसौटी पर खरा उतर जाता है, तो दूसरे व्यक्ति स्वंय ही उसके पास आकर बेर भाव भूल जाते हैं।” –पतंजलि
  5. “अहिंसा परमो धर्मः।” –वेदव्यास (महाभारत)
  6. ” बिना किसी शस्त्र या अस्त्र से पृथ्वी को जीतना चाहिए।” – महात्मा बुद्ध
  7. “जियो और जीने दो।” – महावीर स्वामी
  8. “जिस प्रकार भौरा फूलों की रक्षा करता हुआ पराग को ग्रहण करता है, उसी प्रकार मनुष्य को हिंसा न करते हुए अर्थों को ग्रहण करना चाहिए।” – विदुर
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