गाँधी जी के अनुसार मनुष्य में जहां एक ओर पशुबल है, वहीं दूसरी ओर में आत्मबल भी है। पशुबल मनुष्य की हिंसात्मक वृत्ति की ओर संकेत करता है, जो मानव सत्ता का आधार है। गाँधी जी कहते हैं, कि हम सब मौलिक रूप से कदाचित् पशु थे, किन्तु विकास प्रक्रिया में मनुष्य बन गए हैं। […]
52 Shaktipeeth : माता सती के आभूषण और रक्त के टुकड़े भू-भाग के जिस भी हिस्से में गिरे उन स्थानों को देवी शक्तिपीठ के नाम से पूजा जाता हैं। दुर्गा शप्तसती और तंत्र चुडामणि में इनकी संख्या 52 हैं। देवी भगवती पुराण में 108 शक्तिपीठों का वर्णन हैं। वहीं पर कलिका पुराण में 26 शक्तिपीठों […]
इस प्रकार गाँधी जी की अहिंसा के चार स्तर हैं । यदि हम मानव प्रतिष्ठा के मापदण्ड से अहिंसा के स्तरों में भेद करें तो हम अहिंसा के स्तरों को सही ढंग से जान सकेंगे । कायर निम्न स्तर पर वह कायर है, जो प्रतिकार नहीं कार्ता । यह एक ऐसा व्यक्ति हैं जो मय […]