गौतम बुद्ध के उपदेश आपके जीवन में बड़ा बदलाब ला सकतें हैं, आपके मन को निश्चल और जीवन को सादगी से भर देंगे।
जीवन परिचय Gautam Buddha’s life Story
साक्यगानाधिप सूर्यवंशी क्षत्रिय शुद्धोधन की पत्नी महामाया देवी के गर्भ से कपिलवस्तु के पास लुम्म्नी नमक वन में बुद्ध परम्परा के अनुसार मान्यता है की 624 ई. पूर्व से 566 ई. पूर्व में सिद्धार्थ (गौतम) का जन्म हुआ। उनके जन्म के कुछ समय पश्चात उनकी माँ का स्वर्गवास हो गया।
फिर उनका पालन पोषण उनकी मौसी ने किया। जब उनका नामकरन संस्कार हो रहा था तब एक ज्योतिष द्वारा सिद्धार्थ का भविष्य राजा शुद्धोधन को बताया गया की आपका पुत्र सब कुछ त्याग कर सन्यास धारण कर लेगा।
इससे बचाने के लिए जितना हो सके ।उन्हें दुनिया के सत्य से अनजान रखे। उन्हें ,जन्म- मरण क्या होता है , बूढ़े लोगो को उनसे दूर रखे। उन्हें दुःख क्या होता है इस बात से बिलकुल अज्ञान रखे जिस दिन उन्हें इस बात का ज्ञान होगा बो सब कुछ त्याग कर सन्यास धारण कर लेंगे।
कुछ सालों बाद राजकुमार सिद्धार्थ का विवाह अत्यंत रूपगुनशील राजकुमारी यशोधरा से हुआ। जिससे उन्हें राहुल नमक पुत्र उत्त्पन्न हुआ।
एक समय की बात है जब राजकुमार सिद्धार्थ अपने राज्य के दौरा करने के लिए एक रास्ते से जा रहे थे सबसे पहले उन्हें एक साधू दिखाई देता है और कुछ दूर चलने के बाद उन्हें रास्ते में एक ब्रद्ध और रोगी व्यक्ति दिखाई दिया।
उस व्यक्ति को देख उनके मन में एक प्रश्न उठा ,फिर कुछ दूर पहुंचते ही उन्होंने किसी व्यक्ति की लाश जाते हुआ देखा ,और उनके परिजनों को रोते हुए देखा तो उन्होंने अपने सारथि से उसका कारन पूछा उसने उन्हें बताया की दुःख के कारण वह रो रहे हैं। यह प्रश्न अपने मन में लेकर वह अपने महल पहुंचते हैं। उनके मन में यह प्रश्न उन्हें बहुत सता रहा था। वह इन सब का उत्तर जानने के लिए बहुत व्याकुल होते जा रहे थे |
इन सब का उत्तर जानने लिए उन्होंने महल का त्याग कर दिया और ,ध्यान(MEDITIO)Nमें मग्न हो गए। ब्रद्ध ,रोगी ,मृत और साधू -ऐ चार द्रश्य देख कर उन्हें वैराग्य हुआ।
महात्मा बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेश Buddhism Philosophy
महल का त्याग कर राजकुमार सिद्धार्थ , तपस्या करने के लिए वन की ओर चले गए उन्होंने एक बरगद के पेड़ के नीचे यह प्रण करके बैठ गए की जब तक वह सब कुछ जान नहीं लेंगे वह अपनी आँखे नहीं खोलेंगे। उन्होंने संसार की दुखरूपता और नश्वरता के चिंतन से वैराग्य की तीव्रता का अनुभव हुआ।
उन्होंने किया अनुभव की विश्व के छनिक और दिखाबटी सुख का आधार चिरस्थाई वेदना है। 6 बर्ष की कठिन तपस्या साधना के बाद 35 बर्ष की आयु में गया के समीप बोद्धिब्रक्ष के नीचे मार विजय करके अज्ञान अन्धकार को दूर करने वाले ज्ञान- सूर्य का सक्क्शतकार करके वे बोधि सम्पन्न ‘ सम्यक – सम्बुद्ध ‘ बने। फिर वो बारानसी के पास ‘ ऋषि – पत्तन मेर्ग्दाव ‘ (सारनाथ) गए और वंहा पर पांच भिचुहो को अपना शिष्य बनाकर अपने साक्चात सत्य का सर्वप्रथम उद्देश्य दिया। यही से बोध्ह्धर्म का प्रारम्भ हुआ। जिसे ‘धर्म चक्र प्रवर्तन‘ की संज्ञा दी गयी।
बुद्ध पूर्णिमा
गौतम बुद्ध द्वारा 6 बर्षो तक कठिन तप करने के बाद बैशाख माह के पूर्णिमा के दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसी दिन के उपलक्ष्य को बोद्ध धर्म व हिन्दू को मानने वाले लोग बुद्ध पूर्णिमा के दिन बड़ी धूमधाम से उत्सव के रूप में मनाते हैं। यदि आपने अनुभव किया हो तो पूर्णिमा की रात में चाँद बहुत ही शीतलता प्रदान करता है। ऐसा लगता है मानो चाँद अपनी 16कलाओ से परिपूर्ण हो ।
बुद्ध पूर्णिमा 2022
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर इंसान बस परेशान है आज का दिन महात्मा बुद्ध के 4 आर्य सत्य और अष्टांग मार्ग का अनुसरण कर हम अपने जीवन में चिंताओं और दुखो से मुक्ति पा सकते हैं ।
बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेश
- “आप चाहे कितने भी पवित्र शब्दों को पढ़ या बोल लें, लेकिन जब तक उनपर अमल नहीं करते उसका कोई फायदा नहीं है।”
- “सत्य के रस्ते पर कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है, या तो वह पूरा सफ़र तय नहीं करता या सफ़र की शुरुआत ही नहीं करता।”
- “क्रोधित रहना, जलते हुए कोयले को किसी दूसरे व्यक्ति पर फेंकने की इच्छा से पकड़े रहने के समान है यह सबसे पहले आप को ही जलाता है।”
- “शांति अंदर से आती है इसे बाहर मत खोजो। “
- “न ही सुख स्थायी और न ही दुख। बुरा समय आने पर उसका डटकर सामना करना चाहिए और हमेशा रोशनी की तलाश करनी चाहिए।”
- “तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकतीं सूर्य, चंद्रमा और सत्य।”
- “हज़ार योद्धाओ पर विजय पाना आसान है ,लेकिन जो अपने उपर विजय पाता है वही सच्चा विजयी है। ”
- “अपने व्यक्तित्व को उत्तम विचारो से स्नान करा देना ही ध्यान है ।”
- “अच्छे शब्दों के प्रयोग से बुरे लोगो का भी दिल जीता जा सकता है।”
- “हमे अपनी जिंदगी में अपनी सोच को सकारात्मक रखना चाहिए ,तभी आपको कामयाबी मिलना सुरु होगी। “
- “जीवन में हमेशा खुशिया बातनी चाहिए क्युकी ख़ुशी बाटने से बढती है कभी कम नहीं होती।”
बुद्धा पूर्णिमा का महत्व
गौतम बुद्ध को भगबान विष्णु को नवमा अवतार माना जाता है इसलिए पूर्णिमा के दिन भगबान विष्णु व भगबान गौतम बुद्ध की उपासना करने से सुख – सम्पत्ति में ब्रद्धि होती है आत्मबल बढ़ता है , और किसी भी काम में सफलता मिलती है।