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Power 64 Yogini Temple (चौंसठ योगिनी मंदिर) | Chousath Yogini Name full list

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64 योगिनी

Table of Contents

1. दिव्ययोगिनी (Divyayoginī)

दिव्य योगिनी या चौंसठ योगिनी में प्रथम माता है और इनके पास योग विद्या में अष्ट सिद्धियां हैं जो इनकी पूजा करता है उन्हें दिव्य सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यह दिव्य सिद्धियां 8 प्रकार की होती हैं।
जो इस प्रकार हैं:-
यम,
नियम,
आसन,
प्राणायाम
प्रत्याहार,
धारणा,
ध्यान और
समाधि।
आप दिव्य योगिनी की विधि विधान से आराधना व पूजा करके आप इन सिद्धियों की प्राप्ति कर सकते हैं।

2. महायोगिनी (Mahayogini)

महायोगिनी सिद्धि का मतलब यह कि अगर आप आज जीवन की भागदौड़ से बहुत परेशान हैं। और आपको पर्याप्त नींद और आराम नहीं मिल पा रहा है। आपकों कहीं ना कहीं आप मानसिक रूप से परेशानी हैं। अगर आप महा योगिनी माता का ध्यान और पूजन अर्चना कर सकते हैं। इससे आपको बहुत अच्छी नींद आएगी और मन को काफी हल्का और शांति महसूस होगा। अगर आपको नींद नहीं आती है तो आपके लिए यही मंत्र है

“शुद्धे शुद्धे महायोगिनी महानिद्रे स्वाहा”

साथ ही आपको इन नियम का पालन भी करना होगा मंत्र जाप से पहले निम्न बातें ध्यान मैं रखें –

  • रात को सोने से कम से कम आधा घंटा पहले मोबाइल और टीवी से दूर हो जाएं।
  • सोने से पहले ठंडे पानी से हाथ-मुंह धो लें।
  • रात को सोने से पहले बिस्तर को अच्छी तरह साफ कर लें। साफ और हल्के कपड़े पहनने से अच्छी नींद आती है।
  • शरीर को हमेशा आरामदायक अवस्था में नींद आती है।
  • सोने से पहले आंखें बंद करके मंत्र का ध्यान करें।
  • मंत्र जाप शुरू होने के बाद बिस्तर पर आंखें बंद करके लेट जाएं।
  • साथ में आप इस बात का ध्यान रखें कि दिमाग में किसी प्रकार का कोई विचार नहीं आने दे और बस सिर्फ यही सोचे कि आपको अब निद्रा आ रही है।

3. सिद्धयोगिनी (Siddhayogini)

सिद्ध योगिनी माता आपको रिद्धि और सिद्धि प्रदान करते हैं।

4. गणेश्वरी (ganesvari)

5.प्रेताक्षी (pretaksi)

6.डाकिनी (Dakini)

7.काली (Kali)

कालरात्रि (Kalratri)

निशाचरी (Nisachri)

झंकारी (Jhankari)

ऊर्द्ववेताली (Urdhavvaitali)

खर्परी (Kharpari)

भूतयामिनी ( BhootYamini)

ऊर्द्वकेशी (Urdhkeshi)

विरुपाक्षी ( Virupakshi)

शुष्कंगी ( Shushkangi)

मांसभोजनी ( Mansbhojni)

फेत्कारी (Fetkari)

वीरभद्राक्षी (VeerBhadrakshi)

धूम्राक्षी (Dhumrakshi)

कलहप्रिया ( Kalhpriya)

रक्ता (Rakta)

घोररक्ताक्षी (Ghorraktakshi)

पिशची (Pishchi)

भयंकरी (Bhaynkari)

चौरिका (Chourika)

मारिका (Marika)

चण्डी (Chandi)

वाराही (Varahi)

मुण्डधरिणी (Munddharni)

भैरवी (Bhiaravi)

चक्रिणी (Chakrini)

क्रोधा (Krodha)

दुर्मुखी (Durmukhi)

प्रेतवाहिनी (Pretvahini)

कण्टकी (Kantki)

दीर्घलंबौष्ठी (Dighrlanboushti)

मालिनी (Malini)

मन्त्रयोगिनी (Mantrayogini)

कालाग्नी (Kalagri)

मोहिनी (Mohni)

चक्री (Chakri)

कपाली (Kapali)

भुवनेश्वरी (Bhuvneshvari)

कुण्डलाक्षी (Kundlakshi)

जुही (Juhi)

लक्ष्मी (Laxmi)

यमदूती (Yamduti)

करालिनी (Karalini)

कौशिकी (Koushiki)

भक्षिणी (Bhakshini)

यक्षी (Yakshi)

कौमारी (Koumari)

यन्त्रवहिनी (Yantravahini)

विशाला (Vishala)

कामुकी (Kamuki)

व्याघ्री (Vyaghri)

याक्षिनि (Yakshini)

प्रेतभवनी (Pretbhavani)

धूर्जटा (Dhurjata)

विकता (Vikta)

घोरा (Ghora)

कपाला Kapala)

लङ्गली (Langdali)