जैन मत के अनुसार अहिंसा भाव
अहिंसा से तात्पर्य है अन्य जीवों की हिंसा का वर्जन जैन दर्शन के जीव संबंधी विचारों में हम यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जैन दर्शनकार गतिशील द्रवों के अतिरिक्त स्थावर द्रव्यों में जीव को मानते हैं अतः जैन मत के अनुसार केवल ज्ञान जीवों के प्रति अहिंसा भाव ही अहिंसा नहीं अपितु स्थावर जीवों […]
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